स्वास्थ्य और दवाइयाँ
दवा और सेहत का रिश्ता ,मानव के साथ तब से है जब से उस ने होश संभाला और अपने दर्द से छुटकारा पाने के लिए फिकर्मंद हुआ व इस के लिए कार्यशील भी हुआ .
दवा और सेहत , दवा और दर्द से छुटकारा -यही तो अंतिम लक्ष्य है और इसी लक्ष्य के परिणाम स्वरुप ही दवाइयों का अविष्कार हुआ .
ऐसे विकास ,ऐसी परम्परा व ऐसे इतिहास के होते क्या कभी सोचा भी जा सकता है कि हम या हम मैं से कोई दवाइयों को माध्यम बना कर सिर्फ मुनाफा ही नहीं कमाएगा बल्कि इस जीवन प्रदान करने वाले अविष्कार के जरिये , लोगों को मौत के सन्मुख ले जायेगा .
यह कोई ख्याल नहीं है जो यूं ही मैनें आप से बांटा हो, यह एक सच्चाई है .एक तथ्य भरपूर सच्चाई. यह तो आप ने सुना व महसूस किया होगा कि नकली दवाइयों का एक बाज़ार है. यह बाज़ार कोई मामूली हैसियत या अहमियत का नहीं है बल्कि एक विस्तृत साम्राज्य के बराबर है .
पहली बात तो यह है कि हम इस तथ्य से परिचित हों कि दवाइयों को व्यापर दुनिया मैं लाभ कमाने वाला दूसरा सबसे बड़ा उद्योग है और पहला है =जंगी सामान बनाने का उद्योग . सुनने मैं दोनों नाम एक दुसरे के विपरीत लगते हैं पर वास्तव मैं यह एक ही मंतव्य के लिए बने लगते हैं .
आप को आश्चर्य हो रहा है शायद ! मैं भी यहाँ बात बड़ा चढ़ा कर नहीं कर रहा हूँ. वैसे तो यह सिलसिला विश्वव्यापी है , पर अपने देश की स्थिति पर नज़र डालें तो , आज की तारीख मैं हमारे देश मैं लगभग ५५००० करोड़ का नकली दवाइयों का वयापार है.
इस व्यापार के लिए आप किस को दोषी ठहराएंगे ? अगर देखें तो यही मुद्दा है वास्तव मैं विचारने का . और यह इतना पेचीदा है कि इस की तह तक पहुंचना कोई आसन कार्य भी नहीं .
यह एक पूरी तरह व्यवस्थित बाज़ार है या कहें कि एक ऐसी अपराध से जुडी प्राणाली है. इस मैं दवा व्यापर से जुड़े घराने , दवा कि कम्पनिओं मैं खोज कर रहे वैज्ञानिक , दवा का प्रचार करते मेडिकल रेप्र्सेंतेतिव ,उन कि बात मान कर पर्ची लिखने वाले डॉक्टर , दवाइयां बेचने वाले केमिस्ट व बिना पर्ची के दवा खरीदने वाले आप ..............
अब बात आप पर आ कर रुक गयी या आप से सुरु होने लगी है . आप इस मैं क्या योगदान डाल सकते हैं ?
आप सोचिये .... फिर इस पर बात जारी रखेंगे .
दवा और सेहत , दवा और दर्द से छुटकारा -यही तो अंतिम लक्ष्य है और इसी लक्ष्य के परिणाम स्वरुप ही दवाइयों का अविष्कार हुआ .
ऐसे विकास ,ऐसी परम्परा व ऐसे इतिहास के होते क्या कभी सोचा भी जा सकता है कि हम या हम मैं से कोई दवाइयों को माध्यम बना कर सिर्फ मुनाफा ही नहीं कमाएगा बल्कि इस जीवन प्रदान करने वाले अविष्कार के जरिये , लोगों को मौत के सन्मुख ले जायेगा .
यह कोई ख्याल नहीं है जो यूं ही मैनें आप से बांटा हो, यह एक सच्चाई है .एक तथ्य भरपूर सच्चाई. यह तो आप ने सुना व महसूस किया होगा कि नकली दवाइयों का एक बाज़ार है. यह बाज़ार कोई मामूली हैसियत या अहमियत का नहीं है बल्कि एक विस्तृत साम्राज्य के बराबर है .
पहली बात तो यह है कि हम इस तथ्य से परिचित हों कि दवाइयों को व्यापर दुनिया मैं लाभ कमाने वाला दूसरा सबसे बड़ा उद्योग है और पहला है =जंगी सामान बनाने का उद्योग . सुनने मैं दोनों नाम एक दुसरे के विपरीत लगते हैं पर वास्तव मैं यह एक ही मंतव्य के लिए बने लगते हैं .
आप को आश्चर्य हो रहा है शायद ! मैं भी यहाँ बात बड़ा चढ़ा कर नहीं कर रहा हूँ. वैसे तो यह सिलसिला विश्वव्यापी है , पर अपने देश की स्थिति पर नज़र डालें तो , आज की तारीख मैं हमारे देश मैं लगभग ५५००० करोड़ का नकली दवाइयों का वयापार है.
इस व्यापार के लिए आप किस को दोषी ठहराएंगे ? अगर देखें तो यही मुद्दा है वास्तव मैं विचारने का . और यह इतना पेचीदा है कि इस की तह तक पहुंचना कोई आसन कार्य भी नहीं .
यह एक पूरी तरह व्यवस्थित बाज़ार है या कहें कि एक ऐसी अपराध से जुडी प्राणाली है. इस मैं दवा व्यापर से जुड़े घराने , दवा कि कम्पनिओं मैं खोज कर रहे वैज्ञानिक , दवा का प्रचार करते मेडिकल रेप्र्सेंतेतिव ,उन कि बात मान कर पर्ची लिखने वाले डॉक्टर , दवाइयां बेचने वाले केमिस्ट व बिना पर्ची के दवा खरीदने वाले आप ..............
अब बात आप पर आ कर रुक गयी या आप से सुरु होने लगी है . आप इस मैं क्या योगदान डाल सकते हैं ?
आप सोचिये .... फिर इस पर बात जारी रखेंगे .
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