Sunday, October 23, 2011

diwali is baar yoon manayen

    दिवाली है - अँधेरे के विरुद्ध जहाद का उत्सव . मानव के विकास का सम्पूर्ण सफ़र अँधेरे के विरुद्ध संघर्ष का है . पर यह अँधेरा सिर्फ रात के अँधेरे तक सीमित नहीं है . रात का अँधेरा तो सुबह सूरज के आने से मिट जाता है , परन्तु मानव  के आस - पास फैले अनेकों अँधेरे हैं , जैसे सामाजिक असमानता , अनपढ़ता , अन्धविश्वास का अँधेरा व् आज के समय में भ्रेष्टाचार .
    क्या यह अँधेरे मनुष्य की समझ और बुद्धि के सामने बहुत बड़े हैं ? इस प्रश्न का उत्तर ढूँढना है .
   हमें सीख दाने वाली सबसे अहम् धारा है -  इतिहास . परन्तु जरुरत है कि इतिहास को सही दृष्टिकोण से देखें .
     समय एक वृत्त कि तरह होता है , जैसे कि यह हर वर्ष दोहराया जाता है . इतिहास कि चाल  सीधी होती है , क्योंकि मानव  इस में विकास करता हुआ स्पष्ट दिखाई देता है .हम अक्सर दोनों को मिला लेते हैं .
    हमें इतिहास से सीख कर ,अपनी घटनाओं को इस तरह निर्मित करना चाहिए कि वह समय में एक मील पत्थर कि तरह जुड़ जाएँ . 

     इस वर्ष दिवाली  को इसी संदर्भ में लें

और मानव जीवन के इतिहास में रोशन पल

कि तरह याद किये जाएँ .
      बहुत बहुत शुभ कामनाओं के साथ -----समाज सरोकार परिवार .




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